दूकान वाली भाभी की चूत की प्यास बुझाई

देसी भाभी Xxx चुदाई कहानी मेरे पड़ोस की दूकान वाली भाभी की है. मैं उनकी दूकान से सामान लेने जाता था तो उन्हें देखकर लंड सहलाता था. मुझे भाभी की चूत कैसे मिली?

दोस्तो, मैं कई दिनों से अन्तर्वासना फ्री सेक्स कहानी पढ़ रहा हूँ. मैं सोच रहा था कि अपनी सेक्स कहानी को लिखूं या ना लिखूं.
लेकिन आज हिम्मत करके लिख ही दी.

आप पाठकों का ज्यादा भेजा ना चाटते हुए सीधा देसी भाभी Xxx चुदाई कहानी पर आता हूँ.

मेरा नाम नदीम है, मैं महाराष्ट्र में धुले में रहता हूँ. मेरी उम्र 23 साल की है.
रंग गोरा, कद 5 फुट 3 इंच और मेरा लंड साढ़े छह इंच का है.

मैं अपनी फुटकर की दुकान के लिए आफरीन भाभी की थोक की दुकान पर सामान लाने रोज़ जाता हूँ.

आफरीन भाभी के बारे में बोलूं तो वो एक नम्बर माल हैं.
रंग साधारण, कद 6 फुट. भरी हुई जवानी. उनकी चूचियां तो हाय … क्या कहूँ बस देखते ही उनके मम्मों को बस पीने को मन करने लगता है.
भाभी की गांड … ससस्स यार क्या बोलूं … कयामत है.

उनकी दुकान पर रोज़ जाने की वजह से भाभी से मेरी काफी बातें होने लगी थीं.
उनको इस बात का पता नहीं था कि मैं उनको किस नज़र से देख रहा हूँ.

जब भी मैं भाभी की दुकान पर जाता, तो वो मुझे सामान देने में मशरूफ़ होतीं और मैं अपना लंड मसलता रहता.

ऐसे कई दिन हो गए.

फिर एक दिन वो मुझे बैठा कर अपने घर में कुछ काम से चली गईं.

उनकी एक सलवार कुर्सी पर रखी हुई थी, शायद सिलाई के लिए रखी थी.
मैंने भाभी की सलवार उठाई और उसको चूत की जगह से सूंघने लगा.

मस्त खुशबू आ रही थी यार … उनकी सलवार की खुशबू सूंघकर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मैंने सलवार अपनी पैंट में घुसेड़ी और लंड पर रगड़ने लगा.

भाभी की सलवार इतनी मजा दे रही थी कि मैं उस पर ही झड़ गया.

झड़ने के बाद होश आया तो उसी वक्त मुझे भाभी के आने की आहट सुनाई दी.
मैंने झट से उनकी सलवार जहां से उठाई थी, वहीं रख दी.

भाभी- नदीम चाय पियोगे?
मैं- नहीं भाभी, फिर कभी.

ये बोलकर मैं जाने लगा.

भाभी- अरे रूको न, चाय बस बन ही गई है.
भाभी के बहुत जिद करने के बाद मैं बैठ गया.

भाभी चाय लेकर आईं, मेरी फटी पड़ी थी … क्योंकि मेरा पूरा माल सलवार पर लगा था और भाभी उसी क़ुर्सी पर बैठी थीं.
मैंने गर्म चाय जल्दी जल्दी पी और वहां से चला गया.

पूरे दिन मैं बस यही सोचता रहा था कि वो मेरे घर ना आ जाएं. गांड एकदम फटी पड़ी थी.
फिर जैसे तैसे दिन गुज़रा.

दूसरे दिन मुझे फिर जाना था, लेकिन मैं कल वाले हादसे के बाद डर रहा था.
सामान लेने जाना भी जरूरी था.

मैं भाभी की दुकान तक पहुंचा.
दुकान का शटर बंद था.
मैं और डर गया कि कहीं भाभी ने इरफ़ान भाईजान को बोल तो नहीं दिया.
मुँह में लंड के अखरोट आ गए थे.

फिर मैंने डरते हुए जैसे से ही मुड़ा, भाभी ने आवाज़ दी.
भाभी- नदीम क्या हुआ … सामान नहीं लेना और चाय!

मेरे सिर का पसीना गांड तक आ गया. बड़ी मुश्किल में मुँह से हां निकली.

भाभी- रुको, मैं देती हूँ.
भाभी ने कहा कि देती हूँ तो मन में एक आस जगी कि भाभी चूत देने की कह रही हैं.

खैर … भाभी ने शटर खोली और मैं फटी हुई गांड के साथ अन्दर आ गया.

भाभी ने सफेद सलवार और पिंक कुर्ती पहनी थी.
वो इतनी सेक्सी लग रही थीं कि क्या बताऊं … लेकिन घबराहट के मारे मेरा लंड मुर्दा हो गया था.

भाभी- बैठ!
वो मुझे बिठा कर अन्दर चली गईं.

मैं डरा सहमा बैठा रहा.
भाभी अन्दर से आईं और मेरे हाथ से पर्ची लेकर सामान निकालने लगीं.

सामान निकालते हुए भाभी ने मुझसे पूछा.

भाभी- नदीम एक बात पूछूं!
मेरी फटी और मैंने धीमे से कहा- हां भाभी … क्या हुआ?

भाभी- कल तुमने मेरी सलवार के साथ क्या किया था?
मेरी गांड और ज्यादा फट गई.

मैं- भाभी वो.. मैं.. कुछ नहीं भाभी.
मेरी आवाज़ नहीं निकल रही थी.

भाभी ने सलवार वहीं रखी और मेरी तरफ देखा- ये दाग काहे का है. मैंने सब देखा था, लेकिन मैं तुम्हारा मूड खराब नहीं करना चाहती थी. अब तुम बड़े हो गए हो. डरो मत, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी.

मैं हाथ जोड़ कर बोला- भाभी सॉरी … प्लीज़ किसी को मत बोलना प्लीज़ … अब नहीं करूंगा भाभी प्लीज़.
भाभी- हां ठीक है. नहीं बोलूंगी.

फिर भाभी मेरे सामने आकर बोलीं- लेकिन तुम्हें मेरा एक काम करना होगा.
मैं- हां भाभी, आप जो बोलेंगी … मैं वो करूंगा.

भाभी मुस्कुरा दीं- तुम कल जो कर रहे थे, वो मेरे सामने करो.

ये सब भाभी ने मेरे गाल पर हाथ रख कर कहा था उससे मैं सहम गया कि अब लपाड़ा पड़ा.
मुझे डरता देख कर भाभी- डरो मत, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी.

ये कह कर भाभी ने मेरी तरफ सलवार कर दी.
मैं उठा और सलवार को लेकर उसे देखता रहा.

‘करो …!’
मैंने सलवार अपनी पैंट में डाली और रगड़ना चालू कर दिया.
मेरी आंखें भाभी की तरफ देख रही थीं, गांड पूरी फटी पड़ी थी.

भेनचोद मेरा लंड खड़ा ही नहीं हो रहा था.

भाभी- अरे पैंट उतार कर करो, शर्मा क्यों रहे हो. इधर अन्दर आ जाओ.

मैंने अन्दर को आकर अपनी पैंट घुटने तक उतार दी.
मेरा लंड सोया हुआ था.

भाभी मुरझाया हुआ लंड देख कर हंसने लगीं- नदीम, ये क्या है?
मैं- भाभी, डर के मारे ये ऐसा हो गया है.

भाभी ने अपना दुपट्टा नीचे किया और बोलीं- लाओ, मैं इसे खड़ा कर देती हूँ.
मुझे उनकी बात पर भरोसा नहीं हुआ.
हालांकि मुझे तो ऐसे ही किसी मौके की तलाश थी.

मैं भाभी के पास आ गया.
अब भाभी ने जैसे ही मेरे लंड को हाथ लगाया, मेरे जिस्म में मानो बिजली सी दौड़ गई.

मैंने उनका हाथ लंड पर दबाया.
भाभी लंड को सहला रही थीं और मैं आंख बंद करके मज़े ले रहा था.

पांच मिनट के बाद मेरा लंड खड़ा होकर सीधा भाभी के मुँह की तरफ देख रहा था.

भाभी- लो हो गया रेडी.
मैंने कहा- भाभी, प्लीज़ और करो ना … मज़ा आ रहा है.

ये कह कर मैंने भाभी के एक दूध को दबा दिया.
भाभी ने मेरे हाथ पर हाथ मारा- चल हट बेशर्म. अब तुम वो करो … जो मैंने कहा था.

मैं सलवार से लंड की मुठ मारने लगा.
भाभी मुझे मुठ मारते हुए देख रही थीं.

फिर भाभी को पता नहीं क्या हुआ, वो मेरे लंड को हाथ में लेकर ज़ोर ज़ोर से मसलने लगीं और मेरे होंठों को अपने होंठों से चबाने लगी.

अब मैंने भी भाभी के दूध मसलना शुरू किए.
कुछ मिनट ऐसा ही चलता रहा.

भाभी मादक आवाज में बोलीं- आंह ससस्स नदीम … जल्दी से मेरे आम चूसो जल्दी आह!

ये कहकर भाभी ने अपना कुर्ता ऊपर कर दिया और अपना एक दूध मेरे मुँह में घुसेड़ने लगीं.
मैं भी कुत्तों की तरह भाभी का चूचा चूसने लगा.

मैंने इतना ज्यादा चूसा कि भाभी के निप्पल लाल हो गए. ऐसे लाल मानो खून बाहर आ गया हो.

फिर भाभी ने मुझे कुर्सी पर बैठा दिया और घुटनों पर बैठ कर मेरा लंड अपने होंठों से सहलाने लगीं.

उनके मुँह की गर्मी से मेरी आंखें बंद हो गई थीं.
अचानक भाभी ने मेरे सुपारे को दांत से हल्का हल्का सा काटना शुरू कर दिया.

मुझे दर्द तो हो रहा था लेकिन मज़ा भी आ रहा था.
फिर भाभी ने मेरे लंड को चूसना शुरू किया.

आह … सच में भाभी क्या मस्त चूस रही थीं. मेरा पूरा लंड हलक तक ले रही थीं.

आआ चप चुस … की आवाज़ मुझे और गर्म कर रही थी.

भाभी ने अपनी सलवार को एक हाथ से खोलना शुरू कर दिया और साथ में लंड भी चूस रही थीं.

सलवार उतारने के बाद भाभी ने मुझसे कहा- नदीम, मेरी फुद्दी चाटोगे?
मैंने कहा- भाभी चाटूंगा नहीं … इसे खा जाऊंगा.

भाभी ने खड़ी होकर अपना एक पैर मेरे सिर के बाज़ू में रख दिया और अपनी चूत मेरे मुँह के पास ले आईं.

मैंने अपनी जुबान से पहले चूत को अच्छे से साफ़ किया, फिर भाभी की गांड हाथ से अपनी ओर खींची और उनकी चूत को अपने मुँह में दबाने लगा.

भाभी- सशस्स एयेए स्शश् उफफ्फ़ मर गई नदीम.
उनकी मादक आवाज़ निकल रही थी.

मैंने दोनों हाथ भाभी की गांड पर रखे हुए थे, मैं भाभी की गांड दबा रहा था.
उनकी चूत चूसते चूसते मैंने एक उंगली भाभी की गांड में डाल दी.

भाभी एकदम से उचक कर बोलीं- एयेए नदीम … मजा आ गया … और ज़ोर से कर.
मैंने अपनी वो उंगली भाभी की गांड में अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी और चूत को चाटता रहा.

तभी देसी भाभी अपनी क़मर को झटके देने लगीं और मेरे बालों को खींचने लगीं.
मैंने अपना पूरा मुँह भाभी की चूत में चिपका दिया था.

अचानक भाभी ने ज़ोर ज़ोर से आवाज़ निकाली और उनकी चूत ने खारा चिपचिपा पानी मेरे मुँह छोड़ दिया.
मैं चूत रस को पी भी गया. भाभी ने मुझे इतनी ज़ोर से पकड़ा था कि मैं हिल नहीं पा रहा था.

फिर भाभी ने कहा- अब बहुत हुआ … तुम ज़मीन पर लेट जाओ.
मैं ज़मीन पर लेट गया.

भाभी ने मेरे लंड को अपनी चूत के दाने पर टिकाया और उसे धीरे धीरे अन्दर लेना शुरू कर दिया.
मैं अपनी आंखें बंद करके भाभी के दूध दबा रहा था.

भाभी की चूत ने मेरा समूचा लंड लील लिया था. मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लंड में आग लग गई हो.

तभी भाभी ने अपनी स्पीड ऐसी बढ़ाई कि साला माहौल ही बदल गया.
हर जगह आवाज गूंज रही थी ‘तप थप तप …’

अब भाभी अपनी चूत हटा कर बैठ गई थीं.
Xxx भाभी अपनी गांड को उठा कर घुटनों के बल बैठ गईं और अपनी गांड के सुराख पर लंड सैट कर लिया.

फिर वो मेरे लंड पर अपनी गांड का छेदा रख कर धीरे धीरे से लंड अन्दर ले लिया.

मादक आवाज में भाभी ने कहा- नदीम एयेए … तेरा लंड आंह … इसे मेरी गांड में पूरा डाल दे.
भाभी ये बोल ही रही थीं कि मैंने एक झटका मारा.

तभी भाभी ने ज़ोर से कहा- आंह नदीम धीरे एयेए से दर्द हो रहा है मुझे … आह एयेए धीरे कर!
परन्तु मैं कहां मानने वाला था. … ने भाभी के बाल पकड़े और ज़ोर ज़ोर से गांड मारने लगा.
भाभी का चेहरा छत को देखने लगा था.

मैंने झटके मार मार कर भाभी के निप्पल को अपने दांत से काटना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में मेरा लंड एकदम से भाभी की गांड में सटासट अन्दर बाहर होने लगा था.

बीस मिनट के बाद मैं भाभी की गांड में ही झड़ गया.
भाभी ने मुझे किस किया और मेरा लंड अपनी गांड में लिए मेरे ऊपर ही पड़ी रहीं.

उसके बाद मैंने भाभी को एक बार और चोदा.

अब मेरा नियम बन गया था. मैं भाभी को लगभग रोज़ ही चोदने लगा था.
उनकी चूत में ही लंड रस टपकाने के कारण अभी भाभी प्रेग्नेंट हैं इसलिए वो अपने मायके गई हैं.

उनके वापस आते ही मैं कोशिश करूंगा कि भाभी की गांड मार लूं. क्योंकि चूत में लंड फिलहाल जाना मुमकिन नहीं है.

आपको मेरी देसी भाभी Xxx चुदाई कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें.
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