मेरी सलहज की प्यासी जवानी

ब्लोजॉब सेक्स कहानी मेरे साले की बीवी की है. मैं ससुराल में रुका था। सुबह को मेरी सलहज मेरे रूम में आई, मुझे सोता देख मेरा लंड मुंह में ले लिया। फिर?

हैलो फ्रेंड्स, मैं शुभम चौधरी हाजिर हूं अपनी एक और नयी सेक्स कहानी लेकर!

मेरी पिछली कहानियां आपने नहीं पढ़ी हों तो एक बार उन पर भी नजर जरूर घुमा लेना।

पड़ोसन को चोदने की चाह
पढ़कर मुझे बताइयेगा कि आपको मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी।

आज मैं आपको अपनी एक और नयी कहानी बताने जा रहा हूं।
यह ब्लोजॉब सेक्स कहानी है मेरी सलहज यानि मेरे साले की पत्नी के बारे में! उसका नाम अर्चना है।

अर्चना मेरे बड़े साले की पत्नी है, वो मुझसे लगभग 10 साल बड़ी है।
फिगर की बात करें तो उसके बूब्स 34, कमर 30 और गांड 36 की है।

उसका पूरा बदन ऊपर से नीचे यानि होंठों से चूत तक हल्का सांवला है।
मगर नैन नक्श से ऐसी है कि एक बार देख लो तो लौड़ा सलामी देने लगे।

चलिए अब शुरू करते हैं।

ये बात तब की है जब मेरी शादी हुई थी और मैं दूसरी बार ससुराल गया था।

मेरे सोने का इंतजाम पहली मंजिल पर किया गया था।
मैं बेड पर सो रहा था और मेरा साला चारपाई पर था।

एक छोटी सी जानकारी दे दूं कि मेरा साला पास के अस्पताल में कंपाउंडर का काम करता था।

वो सुबह जल्दी उठा और मुझे बाय बोलकर चला गया।
मैं उस वक्त नींद में ही था।

फिर मैं 6 बजे के करीब उठा।
उस वक्त काफी धुंध थी तो मैं वापस से लेट गया और मुझे दोबारा से नींद आ गयी।

थोड़ी देर में अर्चना कमरे में आई।

मुझे नींद आ रही थी तो मुझे उसके आने का अहसास नहीं हुआ।

उसने धीरे से रजाई हटाई और मेरे पजामे के ऊपर से धीरे धीरे हाथ फिराने लगी।

चूंकि मेरी नींद कच्ची थी तो मुझे अच्छा लगने लगा।

वो अपने नर्म कोमल हाथ मेरे लंड पर फिरा रही थी।
मैं ये सब नींद में सोच रहा था जैसे कोई सपना हो।
मगर ये मेरे साथ उस वक्त सच में हो रहा था।

उसके हाथ फेरने से मेरे लंड में तनाव आने लगा।

फिर मेरी नींद की अवस्था में ही उसने मेरा पजामा नीचे कर लिया।
मेरा लंड बाहर आ गया और उसने उसको झट से मुंह में भर लिया।

पजामा हटाकर वो मेरा लंड चूसने लगी।

मेरी एकदम से आंख खुली और इससे पहले कि मैं कुछ बोलता अर्चना ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और आंख मारी।
उसने दूसरे हाथ में मेरा लौड़ा पकड़ रखा था।

कहने लगी- ननदोईजी, घर पर कोई नहीं है। मां और दीदी ताऊ के घर गई हैं। यहां हम दोनों ही हैं। डरिए मत … मज़ा लीजिए मेरी जवानी का!

मैं कुछ न बोल सका।

उसने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और ऊपर चढ़कर मेरे होंठ चूसने लगी।
अब मैं भी तैयार हो गया और उसे कसकर कमर से पकड़ लिया।

वो कहने लगी- ननदोईजी, मेरी ननद बता रही थी काफी मोटा और गोरा है आपका! पेलते भी लम्बा हो … तो मुझसे भी रहा नहीं गया। मेरी चूत भी सालों से प्यासी है। इसे अपने लौड़े का पानी पिला दो।

मैं सुनता रहा और उसकी गांड मसलता रहा। मैं बोला- ठीक है, मंजूर है तुम्हारी बात, मगर मेरी शर्त है कि मैं जब भी यहां पर आऊंगा, तुम मेरी ऐसे ही सेवा करोगी।

उसने एक बार भी मना नहीं किया और आंख मारकर फिर से मेरा लौड़ा चूसने लगी।
वो इतने अच्छे से चूस रही थी कि जैसे मेरे लौड़े का खून भी निकाल कर पी लेगी।

थोड़ी देर में मैं अकड़ने लगा। मुझे लगा कि मेरा माल इसके मुंह में गिर जाएगा इसलिए मैंने लौड़ा उसके मुंह से खींच लिया।

उसने मुझे चपत लगाई और कहने लगी- मुझे इसका दूध पीना है, एक एक कतरा इसके माल का पी जाना है।

मैंने भी उसकी इच्छा मानी और फिर से लौड़ा उसके मुंह में दे दिया।
मैं उसके मुंह को चोदने लगा।

कुछ ही देर के बाद मेरे लोहे जैसे सख्त लौड़े ने और ऐंठते हुए अपना गर्म गर्म माल उसके मुंह में उगल दिया।

वो लंड की प्यासी मेरे माल की बूंद बूंद अपने गले में उतार ले गयी।
उसने मेरे लंड को चाटकर अपने होंठ साफ किए और मुस्कराकर मुझे थैंक्यू बोला।

फिर मैंने अपने पजामे को ऊपर कर लिया।

अर्चना बोली- ननदोईजी, चाय तो ठंडी हो गई है। मैं गर्म करके ला रही हूं। अबकी बार जब आऊंगी तो आपकी जीभ का कमाल देखूंगी।
ये बोलकर उसने फिर से आंख मारी और चाय का कप उठाकर मटकती हुई चली गयी।

उसके जाने के बाद मैं सोचता रहा कि ये क्या बोलकर गई।

मुझे इतना तो समझ आ गया कि अबकी बार वो मेरे नीचे होगी मगर जीभ चूत पर चलवायेगी या बूब्स पर?
मैं यह सोचता रहा और लेटा रहा।

मेरा लौड़ा उसके बारे में सोचने मात्र से ही दोबारा तन गया।

साढ़े 6 बज गए थे। मेरी पत्नी और सासूमां ताऊ ससुर के घर से नहीं लौटे थे।

5 मिनट बाद अर्चना चाय लेकर आई और हम दोनों ने चाय पी।
फिर उसने बताया- दीदी आधे घंटे और नहीं आने वाली! उन्होंने मुझे फोन करके आपको चाय पिलाने को बोला। मैं आपको दूसरी बार पिलाने आई हूं।

उसने हंसते हुए और आंख मारते हुए बोला।

चाय खत्म होते ही उसने कप नीचे रख दिया।

फिर मेरे हाथ से चाय का कप लिया और उसको अपने होंठों से चूमकर मेरे होंठों से लगा दिया।
मेरा लौड़ा उसकी इस हरकत से फिर से उछाल खा गया।

मेरे उफनते लौड़े को उसने पजामे के ऊपर से ही पकड़ा और उसके गियर बदलते हुए उसको एक दो बार दबाकर देखा।
वो बोली- हम्म … दीदी ठीक ही कहती थी। बड़े खिलाड़ी हो आप और आपका ये हथियार!

फिर उसने उठकर दरवाजा बंद कर दिया और अपनी सलवार का नाड़ा मेरे सामने खोलने लगी।

उसकी कामुक अदाएँ मुझे पागल सी करने लगी थीं; मैं सोचने लगा कि इतने दिन तक ये मुझसे बची कैसे रह गयी।

इतने में ही उसने सलवार का नाड़ा खोलकर उसे नीचे सरका दिया।
उसने अपनी चूत मेरे सामने खोल दी और उसको अपने हथेली से रगड़कर बोली- ये आपके हाथ और जीभ की प्यासी है।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको बेड पर खींच लिया और नीचे पटक लिया।
फिर मैंने उसकी टांगें बेड पर से नीचे लटका दीं और खुद भी कूदकर फर्श पर आ बैठा।

मेरा मुंह ठीक उसकी टांगों के बीच में था, उसकी चूत मेरी नाक के सामने थी।

मैंने उसकी टांगों को उठाया और अपने कंधों पर रख लिया। उसकी चूत मेरे होंठों के पास आ गयी थी।
उसकी चूत की खुशबू मेरी नाक में जाने लगी मगर मैं उस खुशबू को और करीब से सूंघना चाहता था।

मैंने उसकी चूत में नाक रगड़नी शुरू की और उसकी खुशबू लेने लगा।

उसकी चूत के प्रीकम की खुशबू मुझे बेकाबू करने लगी। इतनी मादक खुशबू थी कि मेरा लंड टनटनाने लगा; बार बार लौड़े में उछाल लगने लगा।

चूंकि मेरे पास समय की कमी थी तो मैंने इस मौके का पूरा मजा लेने की सोची और बिना समय गंवाए उसकी चूत को चाटने लगा, होंठों से चूमने लगा।

वो अपने बूब्स शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगी।

मैंने उसकी चूत में जीभ देकर उसके चूतरस का स्वाद लेना शुरू किया तो उसके मुंह से अब कामवासना से भरी मदहोश कर देने वाली सिसकारियां निकलने लगीं।

उसकी सिसकारियों को सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे कि वो बरसों से मेरे लंड का इंतजार कर रही थी।
मेरी जीभ से अपनी चूत चुसवाने के इंतजार में थी।

उसके हाथ लगातार उसके बूब्स पर चल रहे थे। कभी वो अपने निप्पलों को भींच रही थी तो कभी दोनों चूचियों को दोनों हाथों से दबा देती थी।

मैं उसकी चूत के रस को खींचने में व्यस्त था।
कभी उसकी चूत के दाने को मसल देता था तो कभी जांघों को चूमने लगता था।

मेरी सलहज की सिसकारियां अब और तेज होने लगी थीं।

मैं जीभ उसकी चूत की गहराई में उतार कर चोदने लगा।
वो और ज्यादा मदहोश होने लगी।

उससे रहा न गया और उसने अपने शर्ट को ऊपर उठा दिया।
उसकी मस्त गोल गोल चूची एकदम से मेरी आंखों के सामने नंगी हो गईं। उसकी चूचियां काफा टाइट लग रही थीं और चूचियों के भूरे रंग के निप्पल एकदम से तनकर कड़े हो गए थे।

वो अपने चूचकों को भींचने लगी तो मैंने उसकी चूत से जीभ निकाली और उसकी चूचियों को पीने लगा।
वह मेरे सिर को अपने सीने पर दबाने लगी मगर उसकी चूत में भी उतनी ही प्यास लगी थी।

उसने मेरे हाथ को पकड़ा और नीचे अपनी चूत पर ले गई।
मैं उसका इशारा समझ गया।

मैंने एक हाथ से उसकी चूत को फिर से रगड़ना शुरू कर दिया।

अर्चना की चूत का गीलापन मेरी हथेली को भी गीला करने लगा।

मुझे अब और ज्यादा सेक्स चढ़ने लगा था, उसकी चूत मारने का मन कर रहा था।

मगर शायद मुझसे ज्यादा आग तो उसके अंदर भरी हुई थी।
उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को पीने लगी, मेरी जीभ को काटने लगी।

मैंने जीभ बाहर निकाल दी तो उसने मेरी जीभ को अपने होंठों के बीच में ले लिया और उसको लंड की तरह चूसने लगी।
मुझे बहुत मजा आ रहा था।

कुछ देर मेरी जीभ को चूसने के बाद उसने मेरे सिर को पकड़ा और फिर से अपनी चूत पर मेरे होंठ लगवा दिए।

मेरी सलहज की चूत अब पहले से ज्यादा कामरस छोड़ रही थी। उसकी चूत का पानी बहुत स्वादिष्ट था।

अब मैं बीच बीच में उसकी चूत में उंगली भी करने लगा।
चूत में उंगली जाते ही उसकी टांगें चौड़ी फैलने लगीं।

मैंने उसकी चूत में दो उंगली दे दी जिससे वो उचक गई।
वो अपनी चूचियों के निप्पलों को एक उंगली और अंगूठे के बीच में दबाकर मसलने लगी।

उसकी चुदास हर पल और ज्यादा तेज होती जा रही थी।

मैंने फिर से उसकी चूत में जीभ डाल दी।
अबकी बार उसने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा लिया और खुद ही अपनी गांड को उठाते हुए मेरी जीभ से अपनी चूत को चुदवाने लगी।

ऐसा लग रहा था कि उसकी चूत से कोई ज्वालामुखी फूटने वाला हो जिसमें से लावा के साथ साथ धुआं भी निकलने वाला हो।
मुझे अंदाजा नहीं था कि उसकी चूत में इतनी गर्मी होगी।

मैं लगातार उसकी चूत को चूसता रहा और उसे जीभ से चोदता रहा।

5 मिनट की जीभ चुदाई के बाद वो अकड़ने लगी और कहने लगी- मेरे राजा … आह … आह … मेरे लौड़े राजा … मेरी चूत का माल पीयो। माल पीकर मुझे निहाल कर दो।

मैं ये करना तो नहीं चाहता था मगर उसकी सिसकारियां और उसके शब्द मुझे मजबूर कर रहे थे।
इतने में ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं उसकी चूत के रस को चाटने लगा और उसने मेरे मुंह को अपनी चूत पर दबा दिया।

मैंने उसकी चूत का माल पी लिया।
उसकी चूत के रस का स्वाद काफी बढ़िया था।

स्खलित होने के बाद वो काफी हांफ रही थी।
हांफने से उसकी नंगी चूचियां तेजी से ऊपर नीचे हो रही थीं।

मैंने उसको सामान्य होने दिया।
जब उसकी चूचियां हिलनी बंद हो गईं तो वो उठी और मुझे स्माइल दी।

फिर उसने मुझे थैंक्स बोला और फिर अपनी सलवार को पहनने लगी।
उसकी चूचियों को उसने सूट के नीचे ढक लिया और फिर वहां से चली गई।

दोस्तो, ये सब बहुत जल्दी में हुआ था।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरी सलहज मुझसे अपनी चूत चटवा चुकी है, अपनी चूत का माल पिला चुकी है और मेरा माल भी पी चुकी है।

इस तरह से उस दिन पहली बार मेरी सलहज के साथ मेरे सेक्स संबंध बने।
हम दोनों में बात पक्की हो गई।

मैं उसके बाद जब भी वहां जाता हम दोनों एक दूसरे को अपना माल पिलाते।

एक दो बार मैंने उसकी चुदाई भी की। वो कहानी मैं आपको आने वाले समय में बताऊंगा।

गांव में चुदाई का अपना मजा है इसलिए मैं उस कहानी को अलग से लिखूंगा।

मैंने अर्चना और उसकी बहन की चुदाई उनके गांव में ही की।
वो कहानी भी जल्दी ही आपके लिए लाऊंगा।
आपको ये स्टोरी कैसी लगी इस बारे में अपनी राय जरूर जाहिर करें।

आप मुझे मेरे ईमेल पर भी लिख सकते हैं या फिर कहानी के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में भी अपने कमेंट्स के रूप में अपनी राय छोड़ सकते हैं।
मुझे ब्लोजॉब सेक्स कहानी पर आप सभी पाठकों की प्रतिक्रियाओं बेसब्री से इंतजार रहेगा।
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